पवित्र नगरी में मदिरा बंद तो मांस क्यों नहीं? स्वर्णिम भारत मंच ने मुख्यमंत्री मोहन यादव से की मांग

पवित्र नगरी में मदिरा बंद तो मांस क्यों नहीं? स्वर्णिम भारत मंच ने मुख्यमंत्री मोहन यादव से की मांग

Ujjain News | उज्जैन: 1 अप्रैल से धार्मिक नगरी उज्जैन में मदिरा की बिक्री पर सरकार ने रोक लगा दी है। कलाली हटने से जनता खुश है, लेकिन केवल मदिरा विक्रय पर रोक लगाने से स्वर्णिम भारत मंच ने असंतोष व्यक्त किया है। मंच का कहना है कि संत प्रतीतराम रामस्नेही के समय से ही मांस और मदिरा विक्रय पर रोक लगाने की मांग उठती आ रही थी, फिर केवल मदिरा पर ही प्रतिबंध क्यों लगाया गया? मांस विक्रय और कत्लखानों को हटाने का आदेश क्यों नहीं दिया गया? सरकार के प्रयासों से उज्जैन का विकास भव्य रूप में हो रहा है, लेकिन धार्मिक नगरी में मांस विक्रय की अनुमति देना अनुचित है। Ujjain News

मुख्यमंत्री के आदेश के बावजूद खुले में मांस विक्रय जारी

स्वर्णिम भारत मंच के अध्यक्ष दिनेश श्रीवास्तव ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पदभार ग्रहण करते ही खुले में मांस विक्रय पर रोक लगाने का आदेश पारित किया था, लेकिन इसके बावजूद धार्मिक स्थलों के आसपास खुलेआम मांस बेचा जा रहा है। यह हर्ष का विषय है कि प्रदेश के 17 पवित्र नगरों में उज्जैन को भी मदिरा मुक्त कर दिया गया है, लेकिन यह प्रतिबंध मांस और कत्लखानों पर भी लागू होना चाहिए। धार्मिक नगरी में आने वाले श्रद्धालुओं को सड़क पर मांस की दुकानों और कत्लखानों के सामने से गुजरना न पड़े, इसके लिए सरकार को आवश्यक कदम उठाने चाहिए। Ujjain News

महाकाल नगरी की छवि पर प्रभाव

देश-विदेश से श्रद्धालु जब महाकाल की नगरी आते हैं और सड़क पर मांस-मटन की दुकानें देखते हैं, तो उनकी नजरों में उज्जैन की छवि नकारात्मक रूप ले लेती है। मदिरा बिक्री पर रोक सरकार का सराहनीय कदम है, लेकिन जब तक मांस विक्रय और कत्लखानों पर भी पाबंदी नहीं लगती, तब तक धार्मिक नगरी का वैभव अधूरा रहेगा। स्वर्णिम भारत मंच ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि 2005 में उज्जैन को पवित्र नगरी का दर्जा मिला था, लेकिन इसकी सीमा केवल महाकाल मंदिर से 200 मीटर तक सीमित है। इसे बढ़ाकर 2 किलोमीटर किया जाना चाहिए।

संत प्रतीतराम रामस्नेही जी की आत्मा को शांति कब?

ब्रह्मलीन संत प्रतीतराम रामस्नेही जी ने तीन दशक पूर्व उज्जैन को पवित्र नगरी घोषित करने के लिए आंदोलन किया था। उनके प्रयासों के फलस्वरूप 2004 में नगर निगम ने महाकाल क्षेत्र से 2 किलोमीटर तक मांस-मदिरा विक्रय पर रोक लगाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा था। 2005 में मध्यप्रदेश सरकार ने उज्जैन को पवित्र नगरी घोषित कर दिया, लेकिन इसका दायरा इतना सीमित रखा कि मांस विक्रय और कत्लखानों का संचालन जारी रहा। Ujjain News

संत प्रतीतराम जी के ब्रह्मलीन होने के बाद स्वर्णिम भारत मंच ने इस आंदोलन को आगे बढ़ाया और जन आंदोलन के माध्यम से प्रशासन पर खुले में मांस विक्रय पर रोक लगाने का दबाव बनाया। लेकिन सरकार ने अब तक मांस विक्रय पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल से मदिरा विक्रय पर रोक तो लगी है, लेकिन धार्मिक नगरी से मांस और कत्लखाने पूरी तरह से हटाए जाने चाहिए ताकि संत प्रतीतराम रामस्नेही जी की आत्मा को शांति मिल सके। Ujjain News

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ब्रह्मलीन संत

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