विषुव की खगोलीय घटना: दिन और रात 12-12 घंटे, कल से छोटे होंगे दिन

विषुव की खगोलीय घटना: दिन और रात 12-12 घंटे, कल से छोटे होंगे दिन

Ujjain News| उज्जैन, 23 सितंबर 2025: आज, मंगलवार, 23 सितंबर 2025 को उज्जैन की शासकीय जीवाजी वेधशाला में एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना, शरद विषुव (Autumnal Equinox), देखी जा रही है। इस दिन सूर्य विषुवत रेखा (Equator) पर लंबवत होता है, जिसके परिणामस्वरूप दिन और रात की अवधि बराबर, यानी 12-12 घंटे, रहती है। इस अनूठी खगोलीय घटना को देखने के लिए दोपहर से ही जिज्ञासु और खगोल प्रेमी वेधशाला पहुंच रहे हैं, जहां शंकु यंत्र पर सूर्य की छाया दिनभर सीधी रेखा में गमन करती दिखाई देगी।

खगोलीय घटना का महत्व

विषुव वह समय होता है जब सूर्य पृथ्वी की विषुवत रेखा के ठीक ऊपर होता है, जिसके कारण सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर लंबवत पड़ती हैं। यह घटना पृथ्वी के 23.5 डिग्री के अक्षीय झुकाव और सूर्य के चारों ओर उसकी परिक्रमा के कारण वर्ष में दो बार (मार्च और सितंबर) होती है। आज सूर्य की स्थिति सायन तुला राशि में 0 अंश 43 कला 28 विकला पर होगी, और इसकी क्रांति अंश 16 कला 46 विकला दक्षिण होगी। इस स्थिति में, सूर्य की छाया शंकु यंत्र पर एक सीधी रेखा बनाएगी, जो इस खगोलीय घटना का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

कल से बदलाव: छोटे दिन, लंबी रातें

24 सितंबर 2025 से सूर्य दक्षिणी गोलार्ध की ओर बढ़ेगा, जिसके कारण उत्तरी गोलार्ध (भारत सहित) में दिन की अवधि धीरे-धीरे कम होने लगेगी और रातें लंबी होंगी। यह प्रक्रिया 21 दिसंबर 2025 तक चलेगी, जब उत्तरी गोलार्ध में शीतकालीन संक्रांति (Winter Solstice) होगी। इस दिन वर्ष का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात होगी। इसके साथ ही, धूप की तीव्रता कम होने से उत्तरी गोलार्ध में सर्दी की शुरुआत होगी, जो मौसम में ठंडक का आगमन दर्शाएगी।

जीवाजी वेधशाला में अवलोकन

उज्जैन, जो प्राचीन काल से खगोलीय अध्ययन का केंद्र रहा है और कर्क रेखा के निकट होने के कारण खगोलशास्त्र के लिए विशेष महत्व रखता है, इस घटना को देखने के लिए आदर्श स्थान है। शासकीय जीवाजी वेधशाला में स्थापित शंकु यंत्र इस खगोलीय घटना को देखने का एक पारंपरिक और वैज्ञानिक तरीका है। शंकु यंत्र पर सूर्य की छाया की गति दिनभर विषुवत रेखा के अनुरूप सीधी रेखा में दिखाई देगी, जो खगोल प्रेमियों के लिए एक रोमांचक दृश्य है। हालांकि, इस नजारे का आनंद लेने के लिए साफ मौसम आवश्यक है।

विषुव का वैज्ञानिक और सांस्कृतिक महत्व

वैज्ञानिक दृष्टिकोण: विषुव पृथ्वी की खगोलीय गति और सौर मंडल की गतिशीलता को समझने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। यह खगोलशास्त्रियों और वैज्ञानिकों के लिए सूर्य की स्थिति, क्रांति अंश, और पृथ्वी की परिक्रमा का अध्ययन करने का समय है।

सांस्कृतिक महत्व: भारत में, विषुव का संबंध ऋतु परिवर्तन और पंचांग गणना से है। उज्जैन, जो प्राचीन भारतीय खगोलशास्त्र का केंद्र रहा है, में इस घटना का विशेष महत्व है, क्योंकि यहाँ के यंत्रों का उपयोग सैकड़ों वर्षों से सूर्य और ग्रहों की गति को मापने के लिए किया जाता रहा है।

जिज्ञासुओं का उत्साह

दोपहर से ही जीवाजी वेधशाला में खगोल प्रेमी और जिज्ञासु इस खगोलीय घटना को देखने के लिए पहुंच रहे हैं। शंकु यंत्र पर सूर्य की छाया का यह दुर्लभ दृश्य न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह लोगों को प्रकृति और ब्रह्मांड के चमत्कारों से जोड़ता है। वेधशाला के कर्मचारियों ने बताया कि साफ मौसम होने पर यह दृश्य और स्पष्ट होगा, जिससे अवलोकन और भी रोचक होगा।

भविष्य की खगोलीय घटनाएँ

21 दिसंबर 2025: शीतकालीन संक्रांति, जब उत्तरी गोलार्ध में सबसे छोटा दिन था

20 मार्च 2026: वसंत विषुव (Vernal Equinox), जब दिन और रात फिर से बराबर होंगे।

इस खगोलीय घटना को देखने के इच्छुक लोगों को सलाह दी जाती है कि वे जीवाजी वेधशाला से संपर्क करें और मौसम की स्थिति की जानकारी रखें। यह घटना न केवल खगोलशास्त्र के प्रति उत्साह को बढ़ाती है, बल्कि हमें हमारी पृथ्वी और सूर्य के बीच के जटिल संबंध को समझने का अवसर भी देती है।


यह भी पढ़ें…

टेक्सास में हनुमान जी की प्रतिमा पर विवाद: रिपब्लिकन नेता के बयान ने मचाया बवाल

Leave a Comment

अहान पांडे कौन हैं? साउथ के मशहूर विलेन कोटा श्रीनिवास का निधन Kota Srinivasa Rao death news शर्मनाक जांच! ठाणे के स्कूल में छात्राओं के कपड़े उतरवाए गए अर्चिता फुकन और Kendra Lust की वायरल तस्‍वीरें! जानिए Babydoll Archi की हैरान कर देने वाली कहानी बाइक और स्कूटर चलाने वालों के लिए बड़ी खबर! Anti-Lock Braking System लो हो गया पंचायत सीजन 4 रिलीज, यहां देखें