माघी पूर्णिमा: आस्था और उत्सव का संगम, आज होली का डांडा गाड़ने का शुभ मुहूर्त
Ujjain News | माघी पूर्णिमा, जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में मनाई जाती है, इस बार उज्जैन की पवित्र शिप्रा नदी में आस्था की डुबकी के साथ मनाई गई। इस दिन श्रद्धालुओं ने सुबह से ही शिप्रा नदी में स्नान कर पुण्य अर्जित किया। माघ मास के अंतिम दिन माघी पूर्णिमा पर स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। इस दिन शिप्रा नदी के तट पर भक्तों की भारी भीड़ देखी गई, जो न केवल स्नान कर रहे थे, बल्कि दान-पुण्य और देव दर्शन भी कर रहे थे।
माघ स्नान का महत्व
माघ मास को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस पूरे महीने भक्त कल्पवास करते हैं और तीर्थ स्थलों पर स्नान करते है, माघी पूर्णिमा पर इस एक महीने के कल्पवास और स्नान का समापन होता है, ऐसी मान्यता है कि जो लोग पूरे माघ मास में स्नान नहीं कर पाए, वे माघी पूर्णिमा के दिन स्नान करके भी पूरे मास का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। इस दिन स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और पापों से मुक्ति मिलती है।
इस बार माघी पूर्णिमा का और भी विशेष महत्व था, क्योंकि यह अश्लेषा नक्षत्र और शोभन योग में पड़ रही थी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन स्नान, दान और पितृ पूजा का विशेष फल मिलता है। इस बार का योग और भी शुभ माना जा रहा था, क्योंकि सौभाग्य योग के स्वामी ब्रह्मा और शोभन योग के अधिपति बृहस्पति थे। इसलिए इस दिन किए गए स्नान और दान का फल कई गुना बढ़ जाता है। Ujjain News
होली उत्सव की शुरुआत
माघी पूर्णिमा के दिन होली उत्सव की शुरुआत भी हो जाती है। इस दिन होली का डांडा गाड़ने की परंपरा है, जो होली उत्सव के आगमन का प्रतीक है। होली का डांडा गाड़ने के लिए शुभ मुहूर्त में विभिन्न स्थानों पर पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन युवतियां और महिलाएं गाय के गोबर से भरगोलिए बनाती हैं जिन्हें धूप में सुखाकर माला तैयार की जाती है। होलिका दहन के दिन इन मालाओं को पूजन के दौरान अर्पित किया जाता है ऐसी मान्यता है कि इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
माघी पूर्णिमा से लेकर फाल्गुन पूर्णिमा तक, यानी होलिका दहन तक, होली की तैयारीयों का उत्साहपूर्ण वातावरण बना रहता है। इस दौरान लोग फाग उत्सव मनाते हैं और होली के गीत गाते हैं। होली का डांडा गाड़ने के साथ ही होली उत्सव की शुरुआत हो जाती है, जो फाल्गुन मास के अंत तक चलता है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
माघी पूर्णिमा का धार्मिक महत्व तो है ही, साथ ही यह त्योहार सांस्कृतिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह त्योहार न केवल आस्था और विश्वास को दर्शाता है, बल्कि समाज में एकता और उल्लास का संदेश भी देता है। होली का डांडा गाड़ने की परंपरा समाज में एक नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करती है। यह त्योहार लोगों को एक साथ लाता है और सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देता है। इस प्रकार माघी पूर्णिमा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह होली जैसे रंगबिरंगे त्योहार की शुरुआत का भी प्रतीक है। यह त्योहार लोगों को आपसी प्रेम और भाईचारे का संदेश देता है, साथ ही नई ऊर्जा और उत्साह के साथ जीवन जीने की प्रेरणा भी देता है। Ujjain News
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।