नई पेंशन योजना पर कर्मचारियों में फूट, क्या चुनावों में फिर बनेगा बड़ा मुद्दा?

Unified Pension Scheme | नई पेंशन योजना पर कर्मचारियों में फूट, क्या चुनावों में फिर बनेगा बड़ा मुद्दा?

Unified Pension Scheme | लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में पूर्ण बहुमत हासिल करने में विफल रहने के बाद, मोदी सरकार (Modi Government) अब नाराज वर्ग को मनाने की कोशिश करती नजर आ रही है। पिछले 60 दिनों में सरकार को कई मुद्दों पर अपने कदम वापस खींचने पड़े, जिसमें नई पेंशन योजना (Unified Pension Scheme) भी शामिल है। इस योजना के जरिए केंद्र सरकार (Central Government) ने नाराज कर्मचारियों (Employees) को मनाने की कोशिश की है, लेकिन इस प्रयास ने कर्मचारियों के बीच नई दरारें पैदा कर दी हैं।

नई पेंशन योजना की पृष्ठभूमि

मोदी सरकार ने हाल ही में केंद्रीय कर्मचारियों (Central Government Employees) के लिए एक नई पेंशन योजना ‘यूनीफाइड पेंशन स्कीम’ (Unified Pension Scheme) को मंजूरी दी है। यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) और हरियाणा (Haryana) में विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) चल रहे हैं। हरियाणा में विपक्ष (Opposition) ने पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) की बहाली को अपने मुख्य वादों में शामिल किया है। इससे पहले, हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के चुनाव में भी पुरानी पेंशन योजना बड़ा मुद्दा थी, जिसका सीधा लाभ कांग्रेस (Congress) को मिला था। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नई पेंशन योजना कर्मचारियों की नाराजगी को दूर कर सकेगी?

कर्मचारियों की प्रतिक्रियाएँ

नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (National Movement for Old Pension Scheme) के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु (Vijay Kumar Bandhu) ने इस नई योजना को कर्मचारियों के साथ धोखा बताया। उनका कहना है कि नेशनल पेंशन स्कीम (National Pension Scheme) और यूनीफाइड पेंशन स्कीम दोनों ही कर्मचारियों के हित में नहीं हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए उनकी लड़ाई जारी रहेगी।

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विजय कुमार बंधु का कहना है कि इन संशोधनों और सुधारों पर उनका कोई विश्वास नहीं है। उनकी मांग स्पष्ट है कि पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) को बहाल किया जाए, जिसमें कर्मचारियों को नॉन-कॉन्ट्रिब्यूटरी (Non-Contributory) पेंशन मिलती थी।

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नई पेंशन योजना पर कर्मचारियों में फूट, क्या चुनावों में फिर बनेगा बड़ा मुद्दा?

यूनीफाइड पेंशन योजना का विरोध और राजनीति

दूसरी ओर, रेलवे कर्मचारी संगठन एआईआरएफ (All India Railwaymen’s Federation) के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा (Shiv Gopal Mishra) ने नई पेंशन योजना के विरोध को राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि जो लोग यूनीफाइड पेंशन योजना का विरोध कर रहे हैं, वे अपने राजनीतिक स्वार्थों के चलते ऐसा कर रहे हैं। मिश्रा ने नई पेंशन योजना को नेशनल पेंशन स्कीम की तुलना में बेहतर बताया।

शिव गोपाल मिश्रा के अनुसार, पुरानी पेंशन योजना और नई पेंशन योजना में मूल अंतर यह है कि पुरानी योजना नॉन-कॉन्ट्रिब्यूटरी (Non-Contributory) थी, जबकि नई योजना कॉन्ट्रिब्यूटरी (Contributory) है। इसमें 10 प्रतिशत कर्मचारी का योगदान होता है, लेकिन इसे ब्याज (Interest) के साथ वापस किया जाता है। मिश्रा का कहना है कि नई योजना के तहत कर्मचारियों को उनके वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलेगा, जिसमें महंगाई राहत (Inflation Relief) भी शामिल होगी।

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नई पेंशन योजना के एलान के बावजूद, कर्मचारियों के बीच असंतोष बना हुआ है। यह असंतोष आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में एक प्रमुख मुद्दा बन सकता है। जहां एक तरफ सरकार इस योजना को कर्मचारियों के लिए लाभकारी बता रही है, वहीं दूसरी तरफ कर्मचारी इसे अपने हितों के खिलाफ मान रहे हैं।

यूपीएस (UPS) और ओपीएस (OPS) के बीच का यह विवाद न केवल सरकार के लिए एक चुनौती है, बल्कि यह आगामी चुनावों में भी अहम भूमिका निभा सकता है। समय बताएगा कि नई पेंशन योजना कर्मचारियों की नाराजगी को शांत कर पाती है या नहीं, लेकिन इतना तो तय है कि पेंशन का मुद्दा (Pension Issue) एक बार फिर से चुनावी राजनीति का केंद्र बन सकता है।

 

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