वरुथिनी एकादशी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 23 अप्रैल, 2025 को शाम 04:43 बजे
- एकादशी तिथि समाप्त: 24 अप्रैल, 2025 को दोपहर 02:32 बजे
- पारण (व्रत तोड़ने का समय): 25 अप्रैल, 2025 को सुबह 05:46 बजे से 08:23 बजे तक
- द्वादशी तिथि समाप्त: 25 अप्रैल, 2025 को सुबह 11:44 बजे
वरुथिनी एकादशी का महत्व: पापों से मुक्ति और सौभाग्य की प्राप्ति
वरुथिनी एकादशी भगवान विष्णु की आराधना के लिए समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से भक्तों को पिछले जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और आध्यात्मिक सुरक्षा प्राप्त होती है। द्रिक पंचांग के अनुसार, इस एकादशी का पालन करने से न केवल पिछले पाप धुल जाते हैं, बल्कि सौभाग्य में भी वृद्धि होती है। यह व्रत आध्यात्मिक विकास, मानसिक स्पष्टता और नकारात्मक कर्मों से सुरक्षा प्रदान करने वाला माना गया है। Varuthani Ekadashi
वरुथिनी एकादशी: व्रत और पूजा विधि
वरुथिनी एकादशी के दिन भक्त निम्नलिखित विधि से व्रत और पूजा करते हैं:
- घर की सफाई और स्नान: भक्त सुबह उठकर अपने घरों की सफाई करते हैं और पवित्र स्नान करते हैं।
- नवीन वस्त्र धारण और संकल्प: इसके पश्चात नए वस्त्र धारण किए जाते हैं और व्रत रखने का संकल्प लिया जाता है।
- पूजा स्थल की स्थापना: पूजा के स्थान पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के साथ श्री यंत्र स्थापित किया जाता है।
- दीपक प्रज्वलित करना: मूर्ति के सामने एक दीपक जलाया जाता है।
- पुष्प और तुलसी अर्पण: पूजा के दौरान भगवान विष्णु को फूल और तुलसी के पत्ते अर्पित किए जाते हैं।
- धूपबत्ती जलाना: वातावरण को शुद्ध करने के लिए धूपबत्ती जलाई जाती है।
- मंत्र जाप और विष्णु सहस्रनाम: भक्त भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करते हैं और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करते हैं।
- दान-पुण्य: इस दिन दान-पुण्य करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
वरुथिनी एकादशी भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण दिन है। श्रद्धा और भक्ति के साथ इस व्रत का पालन करने से भक्तों को निश्चित रूप से लाभ मिलता है। Varuthani Ekadashi
वरुथिनी एकादशी: भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के उपाय
वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और अन्न का त्याग करते हैं। कुछ लोग फलाहार व्रत भी रखते हैं, जिसमें केवल फल और जल का सेवन किया जाता है। इस दिन झूठ बोलने, दूसरों की निंदा करने और किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचारों से बचने का प्रयास करना चाहिए। मन को शांत और भगवान विष्णु के ध्यान में लीन रखना चाहिए। रात्रि में जागरण कर भगवान विष्णु के भजन और कीर्तन करना भी इस व्रत का महत्वपूर्ण अंग है।
इस एकादशी के पुण्य प्रभाव से व्यक्ति को सांसारिक सुखों के साथ-साथ आध्यात्मिक उन्नति भी प्राप्त होती है। मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने से कन्यादान के बराबर फल मिलता है। यह व्रत जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने वाला माना जाता है। इसलिए, जो भी भक्त भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें विधिपूर्वक इस एकादशी का व्रत और पूजन करना चाहिए। Varuthani Ekadashi
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