वसीयत के आधार पर नामांतरण को हाई कोर्ट की मंजूरी: नगर निगम अब इंकार नहीं कर सकेगा

वसीयत के आधार पर नामांतरण को हाई कोर्ट की मंजूरी: नगर निगम अब इंकार नहीं कर सकेगा

Vasiyat Ke Aadhar Par Namantaran | इंदौर । हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने वसीयत (Will) के आधार पर नामांतरण को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने माना है कि नगर निगम रिकॉर्ड्स में परिवार के सदस्यों के नामों को बदलने के लिए वसीयत एक वैध और प्रामाणिक दस्तावेज है। इस फैसले से पुराने संपत्ति (Property) मामलों के निपटारे में बड़ी संख्या में लोगों को राहत मिलेगी।

क्या कहा हाई कोर्ट ने?

जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि वसीयत को कानून के अनुसार निष्पादित किया गया हो और वह विवादित न हो, तो नगर निगम अधिकारी इसे अस्वीकार नहीं कर सकते। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नगर निगम (Municipal Corporation) का काम अदालत की भूमिका निभाना नहीं है। यदि वसीयत प्रामाणिक है, तो उसे नामांतरण के लिए पर्याप्त माना जाएगा। Vasiyat Ke Aadhar Par Namantaran

अदालत ने यह भी कहा कि नगर निगम अधिकारी वसीयत की वैधता को चुनौती देने के लिए सक्षम नहीं हैं। यह काम केवल सिविल कोर्ट का है। कोर्ट ने माना कि वसीयत के आधार पर नामांतरण को अस्वीकार करना लोगों को सिविल मुकदमे (Civil Case) में फंसाने और अनावश्यक रूप से समय व पैसा खर्च करने के लिए मजबूर करना है।

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याचिका का मामला

यह मामला नगर निगम इंदौर के लीज सेल प्रभारी द्वारा वसीयत के आधार पर नामांतरण के आवेदन को खारिज किए जाने के खिलाफ दायर किया गया था। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में तर्क दिया कि वसीयत के आधार पर नामांतरण कानून के तहत वैध है। नगर निगम के वकील ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि वसीयत के आधार पर रिकॉर्ड परिवर्तन का मामला अभी फुल बेंच के समक्ष लंबित है। निगम की ओर से क ई न्याय दृष्टांत (Legal Citations) प्रस्तुत किए गए। वहीं, याचिकाकर्ता ने भी ऐसे कई दृष्टांत पेश किए, जिनमें वसीयत के आधार पर नामांतरण को वैध माना गया था।

क्या मिलेगा लोगों को फायदा?

अधिवक्ता पंकज खंडेलवाल के अनुसार, इंदौर शहर में हजारों की संख्या में जमीन और दुकानों की लीज नगर निगम के पास हैं। लीजधारकों की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारियों द्वारा वसीयत पेश करने पर भी न तो लीज बढ़ाई जा रही थी और न ही नामांतरण किया जा रहा था।

इसके अलावा, पुराने मकानों के मामलों में भी नक्शे संशोधित नहीं किए जा रहे थे क्योंकि निगम के रिकॉर्ड्स में पुराने नाम ही दर्ज हैं। इस फैसले से अब वसीयत पेश करने वाले लोगों के आवेदन तेजी से निपटाए जाएंगे। Vasiyat Ke Aadhar Par Namantaran

फैसले के मुख्य बिंदु

  • वसीयत (Will) एक वैध दस्तावेज है और इसे नामांतरण के लिए स्वीकार किया जाना चाहिए।
  • नगर निगम अधिकारी वसीयत को अस्वीकार करने या इसकी वैधता पर सवाल उठाने के लिए अधिकृत नहीं हैं।
  • वसीयत पर आधारित नामांतरण से जुड़े मामलों में लोगों को सिविल मुकदमों से बचाया जाएगा।
  • रिकॉर्ड में नामांतरण के लिए राजस्व अधिकारियों को वसीयत की वैधता पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है। Vasiyat Ke Aadhar Par Namantaran
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वर्तमान स्थिति और प्रभाव

हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद नगर निगम को वसीयत के आधार पर नामांतरण से जुड़े लंबित मामलों का निपटारा करना होगा। इससे लीज पर दी गई संपत्तियों, पुराने मकानों और अन्य संपत्ति विवादों का समाधान जल्द हो सकेगा। यह फैसला उन लोगों के लिए राहत लेकर आया है, जो वर्षों से अपने नामांतरण के आवेदन के निपटारे का इंतजार कर रहे थे। इस निर्णय से नगर निगमों को पारदर्शिता के साथ काम करने और जनता की समस्याओं को प्राथमिकता देने की प्रेरणा मिलेगी। हाई कोर्ट का यह निर्णय वसीयत पर आधारित संपत्ति विवादों को हल करने में एक मील का पत्थर साबित होगा। इससे न केवल लोगों को अनावश्यक कानूनी प्रक्रियाओं से राहत मिलेगी, बल्कि नामांतरण और नक्शा संशोधन जैसे कार्यों में भी तेजी आएगी। Vasiyat Ke Aadhar Par Namantaran


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