बड़वानी में किसानों की बेबसी: लागत से भी कम मिल रहे दाम, मवेशियों को खिलानी पड़ रही फसल

बड़वानी में किसानों की बेबसी: लागत से भी कम मिल रहे दाम, मवेशियों को खिलानी पड़ रही फसल

Vegetable Prices | बड़वानी जिले में इन दिनों किसानों की सब्जी की फसलें संकट में हैं। विशेष रूप से फूल गोभी और पत्ता गोभी की फसल को लेकर किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। हालात ऐसे हैं कि कई किसान अपनी फसल को मवेशियों के हवाले करने को मजबूर हैं।

भाव पांच रुपए किलो तक गिरा

राजपुर विकासखंड के ग्राम ऊची के किसान रामलाल पंचोले ने बताया कि उन्होंने दो एकड़ में पत्ता गोभी की खेती की थी। फसल का उत्पादन अच्छा हुआ, लेकिन बाजार में दाम मात्र दो से तीन रुपए प्रति किलो मिल रहे हैं। ऐसे में फसल को मंडी तक ले जाना भी घाटे का सौदा साबित हो रहा है। मजबूर होकर उन्होंने अपनी तैयार फसल मवेशियों को खिलानी शुरू कर दी। Vegetable Prices

एक एकड़ में 50 हजार तक का खर्च

रामलाल ने बताया कि पत्ता गोभी की खेती में एक एकड़ पर 45 से 50 हजार रुपए तक का खर्च आता है। इस बार उन्होंने करीब दो एकड़ में फूल गोभी की फसल लगाई थी, जिसमें एक लाख से अधिक की लागत लगी। हालांकि फसल का उत्पादन अच्छा हुआ, लेकिन बाजार में दाम इतने कम हैं कि फसल को तोड़ने और मजदूरों को भुगतान करने की लागत भी नहीं निकल पा रही है। Vegetable Prices

मंडी तक ले जाना महंगा

मंडी तक फसल पहुंचाने का भाड़ा भी किसानों पर भारी पड़ रहा है। रामलाल जैसे कई किसानों ने बताया कि मंडी में फूल गोभी की खरीदी मात्र दो से तीन रुपए प्रति किलो की जा रही है। इस कीमत पर मंडी तक फसल पहुंचाने और मजदूरों की लागत निकालना भी संभव नहीं हो पा रहा। कई किसान मजबूरी में अपनी फसल खेतों में ही नष्ट कर रहे हैं या मवेशियों को खिला रहे हैं।

हर गांव में यही हाल

ग्राम ऊची के ही एक अन्य किसान मंशाराम पंचोले ने बताया कि उनके गांव के अधिकांश किसान सब्जियों की खेती करते हैं। फूल गोभी, टमाटर और अन्य सब्जियों के उत्पादन में अच्छी मेहनत के बावजूद दाम न मिलने से किसान हताश हैं। उनकी जीविका का मुख्य साधन कृषि है, लेकिन वर्तमान हालात में यह घाटे का सौदा बन गई है। किसानों का कहना है कि सब्जियों की खेती के लिए उन्हें कर्ज लेना पड़ता है, लेकिन उचित दाम न मिलने के कारण कर्ज लौटाना भी मुश्किल हो गया है। स्थिति इतनी गंभीर है कि अब खेतों में लगी फसल को भेड़ों और मवेशियों को खिलाकर जमीन को अगली फसल के लिए तैयार किया जा रहा है। Vegetable Prices

टमाटर में भी मिला धोखा

ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। इससे पहले टमाटर की फसल के दाम भी एक से दो रुपए किलो तक गिर गए थे। किसानों को उम्मीद थी कि फूल गोभी की फसल उन्हें बेहतर मुनाफा देगी, लेकिन बाजार की स्थिति ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। कई किसान बड़े पैमाने पर नुकसान उठा रहे हैं।

उत्पादन अधिक, दाम कम

स्थानीय व्यापारी परेश नामदेव ने बताया कि इस बार फूल गोभी और अन्य सब्जियों का उत्पादन अत्यधिक हुआ है। मंडी में माल की आवक अधिक होने के कारण कीमतें गिर गई हैं। फूल गोभी, टमाटर और अन्य सब्जियों के दाम उत्पादन की अधिकता के चलते दो से तीन रुपए प्रति किलो तक आ गए हैं।

किसानों का दर्द

किसानों का कहना है कि हर साल सब्जी की फसल लगाने पर लाखों रुपए खर्च होते हैं। दाम नहीं मिलने से यह खर्च भी नहीं निकल पाता। इस बार हालात और खराब हैं, क्योंकि दाम इतने कम हैं कि फसल को मंडी तक ले जाने का खर्च भी नहीं निकल पा रहा।

सरकार से उम्मीद

किसान सरकार से मांग कर रहे हैं कि सब्जियों के उचित दाम तय किए जाएं और मंडी तक फसल पहुंचाने में उन्हें सहायता मिले। साथ ही, सब्जी उत्पादकों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था की जाए ताकि उन्हें उनकी मेहनत का वाजिब दाम मिल सके। Vegetable Prices

कर्ज और आत्मनिर्भरता का संकट

किसानों के अनुसार, यदि ऐसी स्थिति जारी रही तो उनके लिए कर्ज चुकाना असंभव हो जाएगा। कई किसान खेती छोड़ने का भी विचार कर रहे हैं। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस समस्या का समाधान सरकार और संबंधित एजेंसियों को मिलकर निकालना होगा।

आने वाले समय की तैयारी

  • कई किसान अब गोभी और अन्य सब्जियों की फसल को नष्ट करके अगली फसल की तैयारी में जुट गए हैं। खेतों को खाली करने के लिए मवेशियों को गोभी खिलाई जा रही है।
  • बड़वानी जिले के किसानों की स्थिति देश के अन्य हिस्सों में सब्जी उत्पादकों के सामने आ रहे संकट का उदाहरण है। जब तक उचित दाम और कृषि नीतियों में सुधार नहीं किया जाता, तब तक किसानों का यह संघर्ष जारी रहेगा। Vegetable Prices

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