धनखड़ के इस्तीफे ने मचाया सियासी तूफान, मोदी ने की उत्तम स्वास्थ्य की कामना, कांग्रेस ने उठाए सवाल, क्या है इस्तीफे के पीछे का रहस्य?
Why Did Dhankhar Resign Mystery Explained |उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है। 21 जुलाई 2025 को देर शाम, धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंप दिया, जिसे तुरंत स्वीकार कर लिया गया। इस अप्रत्याशित कदम ने सत्ताधारी और विपक्षी दलों के बीच सवालों और अटकलों का दौर शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धनखड़ के उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हुए उनकी देश सेवा को सराहा, लेकिन विपक्ष, खासकर कांग्रेस, ने इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य कारणों से इतर “गहरे कारणों” की ओर इशारा किया है। यह लेख इस घटनाक्रम के विभिन्न पहलुओं, राजनीतिक प्रतिक्रियाओं और इसके संभावित प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करता है। Why Did Dhankhar Resign Mystery Explained
पीएम मोदी की प्रतिक्रिया: सेवा की सराहना, स्वास्थ्य की कामना
22 जुलाई 2025 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपनी प्रतिक्रिया साझा की। उन्होंने लिखा, “श्री जगदीप धनखड़ जी को भारत के उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला है। मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूँ।” पीएम मोदी ने धनखड़ की लंबी सार्वजनिक सेवा और उनके उपराष्ट्रपति के रूप में योगदान की सराहना की। यह बयान तब आया जब धनखड़ के इस्तीफे ने राजनीतिक हलकों में तीखी चर्चाएँ शुरू कर दी थीं।
धनखड़ ने अपने इस्तीफे में कहा, “स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूँ, जो संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के अनुसार है।” उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रिपरिषद के समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया, साथ ही संसद सदस्यों से मिले स्नेह और विश्वास को यादगार बताया।
इस्तीफे का समय और संदर्भ
जगदीप धनखड़, जो 11 अगस्त 2022 को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति बने थे, का कार्यकाल अगस्त 2027 तक था। 74 वर्षीय धनखड़ ने संसद के मानसून सत्र के पहले दिन, 21 जुलाई 2025 को इस्तीफा दे दिया, जिसने सभी को हैरान कर दिया। उनके इस्तीफे से पहले, उन्होंने उस दिन राज्यसभा में पाँच नए सदस्यों को शपथ दिलाई और कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक बुलाई थी।
हालाँकि, धनखड़ ने हाल ही में दिल्ली के एम्स में एंजियोप्लास्टी करवाई थी और इस साल मार्च में कुछ दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती रहे थे। इसके बावजूद, उनकी सक्रियता और संसद में उनकी उपस्थिति ने संकेत दिया था कि वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे थे। 12 दिन पहले ही, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा था, “मैं सही समय पर, अगस्त 2027 में रिटायर होऊँगा, जब तक कि कोई दैवीय हस्तक्षेप न हो।” इस बयान ने उनके अचानक इस्तीफे को और रहस्यमय बना दिया।
विपक्ष के सवाल: क्या स्वास्थ्य कारण केवल बहाना?
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने धनखड़ के इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य कारणों को संदिग्ध माना है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया कि धनखड़ का इस्तीफा “हैरान करने वाला और अस्पष्ट” है, और इसके पीछे “कहीं गहरे कारण” हो सकते हैं। रमेश ने बताया कि धनखड़ ने 21 जुलाई को दोपहर 12:30 बजे राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक की अध्यक्षता की थी, जिसमें जेपी नड्डा और किरेन रीजीजू जैसे वर_PROMPT:िष्ठ मंत्रियों ने हिस्सा लिया था। लेकिन उसी दिन 4:30 बजे की दूसरी बीएसी बैठक में नड्डा और रीजीजू नहीं आए, और धनखड़ को इसकी सूचना व्यक्तिगत रूप से नहीं दी गई थी। रमेश ने सवाल उठाया कि दोपहर 1 बजे से 4:30 बजे के बीच ऐसा क्या हुआ कि धनखड़ ने इतना बड़ा कदम उठाया।
रमेश ने यह भी कहा कि धनखड़ संसदीय मानदंडों, मर्यादाओं और नियमों के प्रति बेहद सजग थे, और उन्हें लगता था कि उनके कार्यकाल में इनका बार-बार उल्लंघन हुआ। कांग्रेस ने सुझाव दिया कि पीएम मोदी धनखड़ से अपने इस्तीफे पर पुनर्विचार करने का आग्रह करें, क्योंकि यह “राष्ट्र हित में” होगा।
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) के सांसद पी. संदोश कुमार ने भी इस घटनाक्रम को अप्रत्याशित बताया और कहा कि इसके पीछे के कारण स्पष्ट नहीं हैं। वहीं, वरिष्ठ वकील और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों को स्वीकार करने की बात कही, लेकिन उनकी राष्ट्रवादी सोच और संसद में निष्पक्षता की सराहना की।
बीजेपी का जवाब: दबाव की थ्योरी को खारिज किया
केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा ने विपक्ष के दावों को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने और किरेन रीजीजू ने 4:30 बजे की बीएसी बैठक में शामिल न होने की सूचना धनखड़ के कार्यालय को पहले ही दे दी थी। नड्डा ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी एक टिप्पणी, जिसमें उन्होंने कहा था, “केवल मेरी बात रिकॉर्ड में जाएगी,” विपक्ष को संबोधित थी, न कि धनखड़ को। नड्डा ने इसे गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया।
22 जुलाई को सुबह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और अन्य वरिष्ठ बीजेपी नेताओं ने इस मुद्दे पर गहन चर्चा की। सूत्रों के अनुसार, धनखड़ के इस्तीफे ने सत्ताधारी गठबंधन को असहज स्थिति में डाल दिया है, क्योंकि यह संसद के मानसून सत्र के पहले दिन हुआ।
इस्तीफे का राजनीतिक प्रभाव
धनखड़ का इस्तीफा कई मायनों में महत्वपूर्ण है। वह उपराष्ट्रपति के रूप में राज्यसभा के सभापति भी थे, और उनकी अनुपस्थिति में अब उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह को यह जिम्मेदारी निभानी होगी। संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति पद के लिए छह महीने के भीतर नया चुनाव कराना होगा।
धनखड़ के कार्यकाल को उनकी सख्ती और संसदीय नियमों के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता था। उन्होंने कई मौकों पर विपक्ष और सरकार दोनों को बराबर निशाने पर लिया था। हाल ही में, उन्होंने विपक्ष द्वारा समर्थित एक प्रस्ताव को स्वीकार किया था, जिसमें जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने की माँग की गई थी, जिसके घर से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी। इस कदम ने सरकार को असहज कर दिया था, जिससे कुछ लोग इसे उनके इस्तीफे से जोड़कर देख रहे हैं।
स्वास्थ्य कारण या कुछ और?
हालाँकि धनखड़ ने अपने इस्तीफे में स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, लेकिन उनकी हालिया सक्रियता और संसद में उनकी उपस्थिति ने कई लोगों को आश्चर्यचकित किया है। इस साल की शुरुआत में उनकी एंजियोप्लास्टी हुई थी, और वह नैनीताल में भी स्वास्थ्य कारणों से अस्पताल में भर्ती हुए थे। फिर भी, उनकी ओर से स्वास्थ्य की विस्तृत जानकारी साझा नहीं की गई।
विपक्ष का मानना है कि धनखड़ का इस्तीफा किसी दबाव या असंतोष का परिणाम हो सकता है। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि उनकी न्यायपालिका पर तीखी टिप्पणियाँ, विशेष रूप से राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना, ने सरकार के कुछ वर्गों को नाराज किया हो सकता है।
आगे की राह
धनखड़ के इस्तीफे ने उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति के पद के लिए नए सिरे से सियासी समीकरण शुरू कर दिए हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को अब जल्द ही नया उम्मीदवार चुनना होगा। धनखड़, जिन्हें 2022 में 528 मतों के साथ उपराष्ट्रपति चुना गया था, ने अपने कार्यकाल में एक मजबूत और निष्पक्ष सभापति की छवि बनाई थी। उनकी अनुपस्थिति में संसद के मानसून सत्र की कार्यवाही पर भी असर पड़ सकता है। Why Did Dhankhar Resign Mystery Explained
जगदीप धनखड़ का इस्तीफा न केवल एक व्यक्तिगतनिर्णय है, बल्कि यह भारतीयराजनीति में एक महत्वपूर्णमोड़ भी है। पीएम मोदी की ओर से उनकीसेवा की सराहना और स्वास्थ्य की कामना एक औपचारिकप्रतिक्रिया है, लेकिन विपक्ष के सवाल और अटकलों ने इ घटनाक्रम को और जटिल बना दिया है। क्या यह वास्तव में स्वास्थ्यकारणों से लिया गया फैसला था, या इसके पीछे कोई गहरा राजनीतिक कारण है? यह सवाल आने वाले दिनों में और चर्चा का विषय बना रहेगा। Why Did Dhankhar Resign Mystery Explained
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।