श्मशान घाट से लौटते समय पीछे मुड़कर क्यों नहीं देखना चाहिए? जानें हिंदू धर्म के गहरे रहस्य
Why not to look back after visiting cremation ground | हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार एक महत्वपूर्ण और पवित्र प्रक्रिया है, जिसके दौरान कई नियमों और विधानों का पालन किया जाता है। इनमें से एक प्रमुख नियम है श्मशान घाट से लौटते समय पीछे मुड़कर न देखना। पुराणों और शास्त्रों में इस नियम का विशेष उल्लेख है, और इसके पीछे गहरे आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण छिपे हैं। लेकिन क्या होता है जब कोई इस नियम का उल्लंघन कर देता है? और ऐसी स्थिति में क्या उपाय किए जा सकते हैं? आइए, इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि अंतिम संस्कार के बाद पीछे मुड़कर देखने की मनाही क्यों है, इसके पीछे की मान्यताएं क्या हैं, और गलती होने पर क्या करना चाहिए। साथ ही, हम अंतिम संस्कार से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण नियमों और प्रथाओं पर भी प्रकाश डालेंगे। Why not to look back after visiting cremation ground
अंतिम संस्कार का महत्व और हिंदू धर्म में इसका स्थान
हिंदू धर्म में सोलह संस्कारों का विशेष महत्व है, और इनमें अंतिम संस्काzर (दाह संस्कार) सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस धरती पर जन्म लेने वाले प्रत्येक जीव की मृत्यु निश्चित है। जीवन और मृत्यु का यह चक्र प्रकृति का नियम है, जिसे कोई टाल नहीं सकता। गरुड़ पुराण और अन्य शास्त्रों में बताया गया है कि मृत्यु के बाद आत्मा शरीर को त्याग देती है और अपनी अगली यात्रा शुरू करती है। अंतिम संस्कार के माध्यम से शरीर को पंच तत्वों—अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, और आकाश—में विलीन किया जाता है, जिससे आत्मा को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में कई नियमों का पालन किया जाता है, जैसे शव को पवित्र करना, चिता की तैयारी, और मृतक के प्रति श्रद्धा व्यक्त करना। इन नियमों में से एक है श्मशान घाट से लौटते समय पीछे मुड़कर न देखना। यह नियम न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मृतक की आत्मा और जीवित लोगों के बीच के बंधन को तोड़ने में भी सहायक माना जाता है।
पीछे मुड़कर न देखने की मान्यता और इसका कारण
हिंदू धर्म में माना जाता है कि मृत्यु के बाद आत्मा कुछ समय तक अपने शरीर और परिवार के आसपास रहती है। अंतिम संस्कार के दौरान, जब शव को अग्नि को समर्पित किया जाता है, आत्मा अपने प्रियजनों को देखती रहती है। श्मशान घाट से लौटते समय यदि कोई व्यक्ति पीछे मुड़कर देखता है, तो यह माना जाता है कि आत्मा मोहवश उस व्यक्ति के साथ वापस लौटने की इच्छा रख सकती है। इससे आत्मा का मोक्ष मार्ग बाधित हो सकता है, और वह भटकने की स्थिति में आ सकती है।
इसके अलावा, शास्त्रों में यह भी उल्लेख है कि श्मशान घाट एक ऐसी जगह है जहां नकारात्मक ऊर्जाएं और सूक्ष्म शक्तियां सक्रिय हो सकती हैं। पीछे मुड़कर देखने से व्यक्ति इन नकारात्मक शक्तियों को अनजाने में अपने साथ ले जा सकता है, जिससे उसके जीवन में अशुभ प्रभाव पड़ सकते हैं। यह नियम आत्मा की शांति और जीवित लोगों की सुरक्षा दोनों के लिए बनाया गया है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इस नियम को समझा जा सकता है। अंतिम संस्कार एक भावनात्मक और मानसिक रूप से थकाने वाली प्रक्रिया होती है। पीछे मुड़कर देखने से व्यक्ति का ध्यान बार-बार मृतक की ओर जाता है, जिससे दुख और मोह बढ़ सकता है। यह नियम व्यक्ति को भावनात्मक रूप से आगे बढ़ने और जीवन की वास्तविकता को स्वीकार करने में मदद करता है।
अंतिम संस्कार के दौरान पालन किए जाने वाले नियम
अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में कई नियम और विधान शामिल हैं, जो मृतक की आत्मा की शांति और परिवार की भलाई के लिए महत्वपूर्ण हैं। इनमें से कुछ प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं:
- शव को पवित्र करना: शव को अग्नि देने से पहले उसे स्नान कराकर पवित्र किया जाता है। इसके बाद, मृतक को नए और स्वच्छ वस्त्र पहनाए जाते हैं। पुराणों में कहा गया है कि शव को कभी भी नग्न अवस्था में चिता पर नहीं रखना चाहिए।
- चिता की तैयारी: चिता को पांच प्रकार की लकड़ियों (जैसे चंदन, आम, पीपल, बरगद, और शमी) से तैयार किया जाता है। चिता पर फूल, चंदन, और घी डाला जाता है, जो शव को पवित्र करने और आत्मा की शांति के लिए आवश्यक माना जाता है।
- चिता की परिक्रमा: शव को चिता पर रखने के बाद, परिवार के लोग चिता की परिक्रमा करते हैं। यह मृतक के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने की प्रक्रिया है। परिक्रमा के दौरान मंत्रों का उच्चारण भी किया जाता है।
- अग्नि प्रदान करना: मुखाग्नि देने का अधिकार आमतौर पर मृतक के सबसे बड़े पुत्र या निकटतम पुरुष संबंधी को दिया जाता है। यह प्रक्रिया आत्मा को शरीर से मुक्त करने का प्रतीक है।
- श्मशान घाट से लौटना: अंतिम संस्कार के बाद, सभी लोग बिना पीछे मुड़े अपने घर लौटते हैं। यह नियम आत्मा को मोह बंधन से मुक्त करने और नकारात्मक शक्तियों से बचने के लिए बनाया गया है। Why not to look back after visiting cremation ground
गलती से पीछे मुड़कर देख लिया, तो क्या करें?
हिंदू शास्त्रों में श्मशान घाट से लौटते समय पीछे मुड़कर देखने की सख्त मनाही है। यदि कोई व्यक्ति अनजाने में यह गलती कर देता है, तो उसे तुरंत कुछ उपाय करने चाहिए ताकि नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सके। निम्नलिखित उपाय पुराणों और परंपराओं में बताए गए हैं:
- अग्नि से हाथ-पैर सेंकना: श्मशान घाट से लौटने के बाद, घर के बाहर थोड़ी दूर से अग्नि में हाथ और पैर सेंक लें। यह नकारात्मक ऊर्जाओं को नष्ट करने में मदद करता है।
- पत्थर, लोहा, और जल का स्पर्श: अग्नि सेंकने के बाद, एक पत्थर, लोहे की वस्तु (जैसे चाकू या कील), और जल को स्पर्श करें। यह शरीर में मौजूद किसी भी सूक्ष्म नकारात्मक प्रभाव को हटाने में सहायक है।
- पत्थर फेंकना: एक छोटा पत्थर लें और उसे अपने पीछे की ओर फेंक दें। यह प्रतीकात्मक रूप से नकारात्मक शक्तियों को पीछे छोड़ने का कार्य है।
- जल का छिड़काव: अपने शरीर और आसपास के क्षेत्र में पवित्र जल (जैसे गंगाजल) का छिड़काव करें। यह शुद्धिकरण की प्रक्रिया है।
- नीम और मिर्च का उपयोग: कुछ नीम की पत्तियां और सूखी मिर्च लें, उन्हें चबाएं, और फिर थूक दें। यह नकारात्मक शक्तियों को दूर करने का पारंपरिक उपाय है।
- स्नान करना: घर में प्रवेश करने से पहले स्नान अवश्य करें। स्नान के दौरान नमक मिला हुआ पानी उपयोग करने से शुद्धिकरण में और सहायता मिलती है।
- मंत्र जाप: हनुमान चालीसा, गायत्री मंत्र, या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। ये मंत्र नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
इन उपायों को करने के बाद व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है, और किसी भी संभावित नकारात्मक प्रभाव से बचा जा सकता है। Why not to look back after visiting cremation ground
अंतिम संस्कार से जुड़ी अन्य मान्यताएं और सावधानियां
अंतिम संस्कार के दौरान और बाद में कई अन्य मान्यताएं और सावधानियां भी बरती जाती हैं, जो मृतक की आत्मा और परिवार की भलाई के लिए महत्वपूर्ण हैं। कुछ प्रमुख मान्यताएं निम्नलिखित हैं:
- श्मशान घाट में जूते-चप्पल उतारना: श्मशान घाट में प्रवेश करने से पहले जूते-चप्पल उतार देना चाहिए। यह स्थान की पवित्रता बनाए रखने और नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए किया जाता है।
- मृतक के नाम का उच्चारण न करना: अंतिम संस्कार के बाद कुछ समय तक मृतक का नाम बार-बार नहीं लिया जाता। यह आत्मा को बंधन से मुक्त करने में मदद करता है।
- 13 दिनों का शोक: मृत्यु के बाद 13 दिनों तक परिवार में शोक मनाया जाता है, जिसके दौरान उत्सव, विवाह, या अन्य शुभ कार्य नहीं किए जाते। इस दौरान श्राद्ध और तर्पण जैसे कर्मकांड किए जाते हैं।
- गंगाजल का उपयोग: शव को स्नान कराने और चिता पर छिड़काव के लिए गंगाजल का उपयोग किया जाता है। यह आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। Why not to look back after visiting cremation ground
आधुनिक युग में इन मान्यताओं का महत्व
आज के आधुनिक युग में, कई लोग इन परंपराओं और मान्यताओं को अंधविश्वास मान सकते हैं। हालांकि, इनके पीछे न केवल आध्यात्मिक, बल्कि मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारण भी हैं। श्मशान घाट से पीछे न मुड़कर देखने का नियम व्यक्ति को मृत्यु के दुख से उबरने और जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। यह प्रथा परिवार को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाने और आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने का अवसर प्रदान करती है।
इसके अलावा, नीम, मिर्च, और स्नान जैसे उपायों का वैज्ञानिक आधार भी है। नीम और मिर्च में जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जो श्मशान घाट जैसे स्थान से आने वाली संभावित हानिकारकसूक्ष्मजीवों से बचाव करते हैं। स्नान और जल का छिड़काव व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध करने में मदद करता है। Why not to look back after visiting cremation ground
हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार एक पवित्र और गंभीर प्रक्रिया है, जो मृतक की आत्मा की शांति और परिवार की भलाई के लिए की जाती है। श्मशान घाट से लौटते समय पीछे मुड़कर न देखने का नियम आत्मा को मोह बंधन से मुक्त करने और नकारात्मक शक्तियों से बचने के लिए बनाया गया है। यदि कोईव्यक्ति अनजाने में यह गलती कर देता है, तो अग्नि सेंकना, पत्थर फेंकना, नीम चबाना, और स्नान जैसे उपाय किए जा सकते हैं। Why not to look back after visiting cremation ground
ये परंपराएं न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे परिवार को मृत्यु के दुख से उबरने और जीवन में आगे बढ़ने की शक्ति भी प्रदान करती हैं। आधुनिकयुग में भी इन मान्यताओं का पालनकरके हम अपने सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों को जीवित रख सकते हैं। Why not to look back after visiting cremation ground
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।