मानसून में पुरानी चोट का दर्द: कारण और आयुर्वेदिक समाधान
Why old injuries hurt during monsoon | मानसून का मौसम अपने साथ ठंडक, नमी और हरियाली लाता है, लेकिन कई लोगों के लिए यह पुरानी चोटों के दर्द को भी जगा देता है। आपने शायद गौर किया होगा कि बारिश के दिनों में कई साल पुरानी चोट या फ्रैक्चर अचानक दर्द करने लगता है। यह कोई वहम नहीं है, बल्कि एक वास्तविक शारीरिक प्रतिक्रिया है जो मौसम के बदलाव से जुड़ी है। आइए, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ. नीतिका कोहली, जिनके पास आयुर्वेद में एमडी और 17 साल का अनुभव है, की मदद से इसके पीछे के वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारणों को समझते हैं और जानते हैं कि इस दर्द को कैसे कम किया जा सकता है। Why old injuries hurt during monsoon
बारिश में पुरानी चोट क्यों दर्द करती है?
बारिश के मौसम में नमी, तापमान में बदलाव और हवा में ठंडक जैसे कारक हमारे शरीर पर असर डालते हैं। ये बदलाव पुरानी चोटों को फिर से सक्रिय कर सकते हैं। आइए, इसके प्रमुख कारणों पर नजर डालें:
- हवा में बढ़ती नमी और लिक्विड बैलेंस
बारिश के मौसम में हवा में नमी (ह्यूमिडिटी) बढ़ जाती है, जिसका असर शरीर के तरल पदार्थों (लिक्विड बैलेंस) पर पड़ता है। यह जोड़ों और मांसपेशियों में सूजन या दबाव को बढ़ा सकता है, खासकर उन जगहों पर जहां पहले चोट लगी हो। आयुर्वेद के अनुसार, यह वात दोष के असंतुलन के कारण होता है, जो नमी और ठंडक से बढ़ता है। - ठंडक का प्रभाव
मानसून में तापमान में कमी और हल्की ठंडक पुरानी चोटों के आसपास की मांसपेशियों और ऊतकों को सिकोड़ सकती है। इससे रक्त संचार (ब्लड सर्कुलेशन) प्रभावित होता है, जिसके परिणामस्वरूप दर्द और अकड़न बढ़ सकती है। - पॉश्चर का खराब होना
बारिश में लोग अक्सर मुलायम चप्पलें पहनते हैं या गीले फर्श पर चलते हैं, जिससे शरीर का पॉश्चर बिगड़ सकता है। इसके अलावा, गद्देदार सोफे पर ज्यादा समय बिताने या गलत तरीके से बैठने से पुरानी चोटों पर दबाव पड़ता है, जिससे दर्द बढ़ सकता है। - शारीरिक गतिविधियों में कमी
मानसून में बारिश और गीले मौसम के कारण लोग बाहर कम निकलते हैं, जिससे शारीरिक गतिविधियां (फिजिकल एक्टिविटी) कम हो जाती हैं। इससे मांसपेशियां और जोड़ अकड़ सकते हैं, जिसके कारण पुरानी चोट का दर्द उभर सकता है। - आयुर्वेदिक दृष्टिकोण: वात दोष का असंतुलन
आयुर्वेद के अनुसार, मानसून में वात दोष का प्रभाव बढ़ता है। वात दोष हवा और ठंडक से प्रभावित होता है, जो जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, अकड़न और सूजन को बढ़ा सकता है। पुरानी चोटों के आसपास के ऊतक पहले से ही कमजोर होते हैं, और वात दोष का असंतुलन इनमें दर्द को और तेज कर सकता है। - ब्लड सर्कुलेशन पर प्रभाव
ठंडे और नम मौसम में रक्त संचार धीमा हो सकता है, खासकर चोट वाली जगहों पर। इससे ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति कम होती है, जिसके कारण दर्द और असहजता बढ़ सकती है। - मनोवैज्ञानिक कारक
बारिश का मौसम कई लोगों में सुस्ती और तनाव को बढ़ा सकता है, जो दर्द की अनुभूति को और गंभीर बना सकता है। तनाव के कारण मांसपेशियां तन जाती हैं, जो पुरानी चोटों को प्रभावित कर सकता है।
पुरानी चोट के दर्द को कम करने के आयुर्वेदिक उपाय
आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा के संयोजन से इस दर्द को नियंत्रित किया जा सकता है। यहाँ कुछ. प्रभावी उपाय दिए गए हैं:
- गर्म तेल की मालिश (अभ्यंग)
आयुर्वेद में गर्म तेल से मालिश को बहुत प्रभावी माना जाता है। तिल का तेल, महानारायण तेल या नीलगिरी का तेल चोट वाली जगह पर हल्के हाथों से मालिश करने से रक्त संचार बेहतर होता है और वात दोष संतुलित होता है। मालिश के बाद गर्म पानी से स्नान करें। - गर्म सेंक (सिकाई)
चोट वाली जगह पर गर्म सेंक लगाने से मांसपेशियों की अकड़न कम होती है और दर्द में राहत मिलती है। आप गर्म पानी की बोतल या हीटिंग पैड का उपयोग कर सकते हैं। आयुर्वेद में नमक को तवे पर गर्म करके कपड़े में बांधकर सेंकने की सलाह दी जाती है। - वात नाशक आहार
- गर्म और पौष्टिक भोजन लें, जैसे सूप, खिचड़ी, और हल्का मसालेदार खाना।
- अदरक, हल्दी, लहसुन और काली मिर्च का उपयोग करें, जो वात दोष को संतुलित करते हैं।
- ठंडे, तले हुए और भारी भोजन से बचें।
- हल्की एक्सरसाइज और योग
बारिश में बाहर न जा सकें, तो घर पर हल्की स्ट्रेचिंग और योग करें। सूर्य नमस्कार, ताड़ासन और पवनमुक्तासन जैसे आसन जोड़ों और मांसपेशियों को लचीला बनाते हैं। ध्यान रखें कि ज्यादा जोर न डालें। - पॉश्चर का ध्यान रखें
- मुलायम चप्पलें या गीले फर्श पर चलने से बचें। अच्छे सपोर्ट वाली चप्पलें पहनें।
- कुर्सी पर सीधे बैठें और सोते समय सही पॉश्चर में रहें।
- हर्बल उपचार
आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ जैसे अश्वगंधा, शल्लकी और गुग्गुल जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द को कम करने में मदद करती हैं। इन्हें लेने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें। - हाइड्रेशन और डिटॉक्स
पर्याप्त पानी पिएं और हल्का गर्म पानी पीने की आदत डालें। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है और लिक्विड बैलेंस बनाए रखता है। - ध्यान और तनाव प्रबंधन
मानसून में तनाव बढ़ने से दर्द की अनुभूति बढ़ सकती है। ध्यान, प्राणायाम और गहरी साँस लेने की तकनीकें तनाव को कम करती हैं और दर्द की संवेदनशीलता को नियंत्रित करती हैं।
कब लें डॉक्टर की सलाह?
अगर पुरानी चोट का दर्द बहुत ज्यादा हो, सूजन बढ़ जाए, या चलने-फिरने में दिक्कत हो, तो तुरंत किसी ऑर्थोपेडिकडॉक्टर या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से संपर्क करें। कई बार पुरानी चोट के साथ अर्थराइटिस या अन्य जटिलताएँ जुड़ सकती हैं, जिनका समय पर इलाज जरूरी है। Why old injuries hurt during monsoon
मानसून में पुरानी चोट का दर्द बढ़ना एक आम समस्या है, जो नमी, ठंडक, कमशारीरिक गतिविधि और वात दोष के असंतुलन के कारण होता है। आयुर्वेदिकउपायों और सही जीवनशैली के साथ इस दर्द को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। गर्म तेल की मालिश, सही आहार, हल्कीएक्सरसाइज और पॉश्चर का ध्यानरखकर आप इस मौसम को दर्दमुक्त और आनंदमय बना सकते हैं। अगर दर्द लगातार बना रहे, तो विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। Why old injuries hurt during monsoon
यह जानकारी सामान्य है और किसी भी उपचार को शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर या आयुर्वेदिकविशेषज्ञ से परामर्श करें। Why old injuries hurt during monsoon
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मैं इंदर सिंह चौधरी वर्ष 2005 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। वर्ष 2007 से 2012 तक मैं दैनिक भास्कर, उज्जैन में कार्यरत रहा, जहाँ पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
वर्ष 2013 से 2023 तक मैंने अपना मीडिया हाउस ‘Hi Media’ संचालित किया, जो उज्जैन में एक विश्वसनीय नाम बना। डिजिटल पत्रकारिता के युग में, मैंने सितंबर 2023 में पुनः दैनिक भास्कर से जुड़ते हुए साथ ही https://mpnewsbrief.com/ नाम से एक न्यूज़ पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से मैं करेंट अफेयर्स, स्वास्थ्य, ज्योतिष, कृषि और धर्म जैसे विषयों पर सामग्री प्रकाशित करता हूं। फ़िलहाल मैं अकेले ही इस पोर्टल का संचालन कर रहा हूं, इसलिए सामग्री सीमित हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता।