World Physiotherapy Day | विश्व फिजियोथैरेपी दिवस: क्यों और कैसे बदल रहा है यह चिकित्सा क्षेत्र?
फिजियोथैरेपी एक ऐसी चिकित्सा विधि है, जो शारीरिक समस्याओं के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हर साल 8 सितंबर को विश्व फिजियोथैरेपी दिवस (World Physiotherapy Day) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य फिजियोथैरेपी के महत्व को समझाना और लोगों को इसके लाभों के प्रति जागरूक करना है। इस लेख में हम जानेंगे कि फिजियोथैरेपी दिवस के जनक कौन हैं, इससे कौन-कौन सी बीमारियां दूर होती हैं और इसमें आए आधुनिक बदलावों के बारे में चर्चा करेंगे।
फिजियोथैरेपी दिवस की शुरुआत कब और कैसे हुई?
विश्व फिजियोथैरेपी दिवस (World Physiotherapy Day) की शुरुआत 8 सितंबर 1996 को हुई थी। यह दिन विशेष रूप से वर्ल्ड कॉन्फेडरेशन फॉर फिजिकल थेरेपी (World Confederation for Physical Therapy – WCPT) द्वारा निर्धारित किया गया था। इस संगठन की स्थापना 1951 में हुई थी, और इसने फिजियोथैरेपी की अंतरराष्ट्रीय पहचान बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
फिजियोथैरेपी के जनक कौन हैं?
फिजियोथैरेपी के जनक पेर हेनरिक लिंग (Per Henrik Ling) माने जाते हैं, जो एक स्वीडिश कवि, शिक्षक और फिजिकल थेरेपिस्ट थे। उन्होंने 19वीं सदी में शारीरिक व्यायाम और चिकित्सा के क्षेत्र में कार्य किया और इसे वैज्ञानिक रूप से मान्यता दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
कौन-कौन से रोगों का इलाज फिजियोथैरेपी से किया जा सकता है?
फिजियोथैरेपी कई तरह की बीमारियों के इलाज में उपयोगी होती है। कुछ प्रमुख रोग जिनका इलाज फिजियोथैरेपी द्वारा संभव है, निम्नलिखित हैं:
- मांसपेशियों का दर्द (Muscle Pain): मांसपेशियों में दर्द और खिंचाव के लिए फिजियोथैरेपी अत्यधिक लाभकारी है।
- आर्थराइटिस (Arthritis): गठिया के मरीजों को शारीरिक व्यायाम और फिजिकल थेरेपी से राहत मिलती है।
- रीढ़ की हड्डी की समस्याएं (Spinal Problems): स्लिप डिस्क और अन्य रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याओं में यह चिकित्सा काफी कारगर होती है।
- स्ट्रोक (Stroke): फिजियोथैरेपी स्ट्रोक के बाद की स्थिति में मरीजों को शारीरिक गतिविधियां करने में मदद करती है।
- ऑर्थोपेडिक समस्याएं (Orthopedic Problems): जोड़ों, हड्डियों और नसों से जुड़ी समस्याओं के लिए फिजियोथैरेपी महत्वपूर्ण है।
- रिस्पिरेटरी समस्याएं (Respiratory Problems): श्वसन से जुड़ी बीमारियों जैसे अस्थमा (Asthma) और सीओपीडी (Chronic Obstructive Pulmonary Disease – COPD) में भी फिजियोथैरेपी का उपयोग किया जाता है।
आज फिजियोथैरेपी में क्या बदलाव आए हैं?
फिजियोथैरेपी के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में कई बदलाव आए हैं। आधुनिक तकनीक और उपकरणों के आने से फिजियोथैरेपी के तरीके और परिणामों में सुधार हुआ है। आइए जानते हैं, कौन-कौन से बदलाव आए हैं:
- इलेक्ट्रोथेरेपी का उपयोग (Electrotherapy): इलेक्ट्रोथेरेपी के माध्यम से दर्द और सूजन को कम करने के लिए बिजली की उत्तेजना का उपयोग किया जाता है।
- काइनेशियोलॉजी टेपिंग (Kinesiology Taping): यह एक नई तकनीक है जो मांसपेशियों को सपोर्ट और स्थिरता प्रदान करती है।
- टेलिफिजियोथैरेपी (Tele-Physiotherapy): कोरोना महामारी के दौरान, दूरस्थ चिकित्सा (Remote Therapy) की मांग बढ़ गई, जिससे टेलिफिजियोथैरेपी का चलन बढ़ा।
- रोबोटिक थेरेपी (Robotic Therapy): रोबोटिक उपकरणों का उपयोग करके मरीजों को शारीरिक गतिविधियों में मदद की जाती है, विशेष रूप से पैरालिसिस के मरीजों के लिए।
- वर्चुअल रियलिटी (Virtual Reality): वर्चुअल रियलिटी तकनीक का उपयोग कर मरीजों को शारीरिक गतिविधियों में शामिल किया जाता है, जिससे उनकी रिकवरी में तेजी आती है।
फिजियोथैरेपी कैसे काम करती है?
फिजियोथैरेपी का काम शरीर की संरचना और मांसपेशियों की गतिविधियों को सुधारना है। इसमें विभिन्न प्रकार के व्यायाम, तकनीक और उपचार शामिल होते हैं:
- मैनुअल थेरेपी (Manual Therapy): यह थेरेपी हाथों से की जाती है और इसमें मांसपेशियों को मसाज करना, खींचना और गतिशील करना शामिल होता है।
- थेराप्यूटिक व्यायाम (Therapeutic Exercises): शारीरिक व्यायाम जिनसे मांसपेशियों की शक्ति और लचीलापन बढ़ता है।
- हॉट एंड कोल्ड थेरेपी (Hot and Cold Therapy): दर्द और सूजन को कम करने के लिए गर्म या ठंडे पैक का उपयोग किया जाता है।
- हाइड्रोथेरेपी (Hydrotherapy): पानी में व्यायाम करना जिससे मरीजों को शारीरिक गतिविधियां करने में आसानी होती है।
फिजियोथैरेपी की प्रमुख तकनीकें क्या हैं?
फिजियोथैरेपी में विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जाता है। इनमें से कुछ प्रमुख तकनीकें हैं:
- आईएफटी (Interferential Therapy – IFT): यह एक प्रकार की इलेक्ट्रोथेरेपी है जो दर्द को कम करने के लिए की जाती है।
- अल्ट्रासाउंड थेरेपी (Ultrasound Therapy): इस तकनीक में उच्च आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है।
- ट्रैक्शन थेरेपी (Traction Therapy): इस थेरेपी में रीढ़ की हड्डी या जोड़ों पर खिंचाव डालकर राहत दी जाती है।
- डीप टिश्यू मसाज (Deep Tissue Massage): इसमें मांसपेशियों की गहरी परतों पर दबाव डालकर दर्द को दूर किया जाता है।
क्या फिजियोथैरेपी का कोई साइड इफेक्ट है?
फिजियोथैरेपी आमतौर पर सुरक्षित मानी जाती है, लेकिन कुछ मामलों में मामूली साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं:
- मांसपेशियों में सूजन (Muscle Swelling): कभी-कभी शुरूआत में सूजन या दर्द हो सकता है।
- थकान (Fatigue): मरीज थकान महसूस कर सकते हैं, खासकर शुरुआती दौर में।
- संवेदनशील त्वचा (Sensitive Skin): इलेक्ट्रोथेरेपी और अन्य उपकरणों के कारण त्वचा पर संवेदनशीलता बढ़ सकती है।
फिजियोथैरेपी का भविष्य क्या है?
आधुनिक चिकित्सा और तकनीक के विकास के साथ, फिजियोथैरेपी का भविष्य उज्ज्वल है। आने वाले समय में निम्नलिखित तकनीकों के उपयोग में वृद्धि हो सकती है:
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI): AI आधारित तकनीकें फिजियोथैरेपी को और अधिक प्रभावी बना सकती हैं।
- रोबोटिक असिस्टेंस (Robotic Assistance): रोबोटिक उपकरणों का व्यापक उपयोग होगा।
- नवीनतम उपकरणों का विकास (Development of New Devices): नए उपकरण और सॉफ़्टवेयर फिजियोथैरेपी को और अधिक सटीक और प्रभावी बनाएंगे।
विश्व फिजियोथैरेपी दिवस (World Physiotherapy Day) हमें याद दिलाता है कि फिजियोथैरेपी सिर्फ उपचार ही नहीं, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य और जीवनशैली में सुधार का एक साधन है। आधुनिक तकनीक और नवाचारों ने इसे और भी प्रभावी बना दिया है, जिससे लोग तेजी से स्वस्थ हो रहे हैं।
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